वाराणसी, 6 दिसंबर 2025।
काशी हिंदू विश्वविद्यालय के आयुर्वेद संकाय, चिकित्सा विज्ञान संस्थान (IMS-BHU) द्वारा बीएएमएस के नवप्रवेशित विद्यार्थियों के लिए आयोजित 15 दिवसीय ट्रांजिशनल कॅरिक्युलम ‘आयुर्वप्रवेशिका–2025’ का समापन समारोह गुरुवार को सिद्धांत दर्शन विभाग के आत्रेय हॉल में गरिमामय वातावरण के बीच सम्पन्न हुआ। यह कार्यक्रम न केवल विद्यार्थियों के लिए शैक्षणिक प्रवेश-द्वार सिद्ध हुआ, बल्कि आयुर्वेदिक चिंतन, करुणा, शोध-दृष्टि और चिकित्सक-धर्म के बीज बोने वाला एक महत्वपूर्ण संस्कार-परंपरा भी साबित हुआ।
मुख्य अतिथि ने दी शोध-आधारित आयुर्वेद की दिशा में आगे बढ़ने की प्रेरणा
समारोह के मुख्य अतिथि तथा आईएमएस-बीएचयू के कार्यवाहक निदेशक एवं डीन (रिसर्च) प्रो. गोपाल नाथ ने अपने प्रेरक उद्बोधन में कहा कि आयुर्वेद में प्रवेश केवल एक डिग्री की शुरुआत नहीं, बल्कि जीवन-दृष्टि को बदलने वाली तपस्या है। उन्होंने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि भविष्य में Evidence-Based Ayurveda वैश्विक स्वास्थ्य-व्यवस्था को दिशा प्रदान करेगा।
उन्होंने कहा—
“आयुर्वेद को आज विश्व एक विज्ञान, एक समाधान और एक भविष्य के रूप में देख रहा है। आप सभी को इसी दृष्टि के साथ सीखना, शोध करना और चिकित्सा के मूल स्वभाव को समझना होगा।”
विशिष्ट अतिथि ने आयुर्वेद को नेतृत्व और नवोन्मेष की भाषा बताया
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि, प्रबंधन अध्ययन संस्थान (FMS-BHU) के निदेशक प्रो. आशीष बाजपेयी ने विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए कहा कि आधुनिक युग में आयुर्वेद एक उपचार-पद्धति से आगे बढ़कर नेतृत्व, नवाचार और नीति-निर्माण की भाषा बन चुका है।
उन्होंने कहा कि यह समय केवल सीखने का नहीं, बल्कि करने और नेतृत्व करके दिखाने का है।
“आज का आयुर्वेद आपके लिए अनंत संभावनाओं का क्षेत्र है—चाहे वह क्लीनिकल प्रैक्टिस हो, हेल्थ स्टार्टअप, रिसर्च, पॉलिसी मेकिंग या वैश्विक हेल्थ डिप्लोमेसी।”
आयुर्वप्रवेशिका: परिचय नहीं, चिकित्सकीय दृष्टि का संस्कार
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए आयुर्वेद संकाय के डीन प्रो. पी. के. गोस्वामी ने कहा कि ‘आयुर्वप्रवेशिका’ केवल एक औपचारिक ट्रांजिशनल कॅरिक्युलम नहीं, बल्कि जीवन्त संस्कार है जो जिज्ञासा को दायित्व में बदलने की प्रक्रिया को परिभाषित करता है।
उन्होंने कहा—
“एक चिकित्सक केवल ज्ञान का पात्र नहीं, बल्कि संवेदना, विवेक और करुणा का संयोजन होता है। यह कार्यक्रम उसी संवेदना को जागृत करता है।”
कार्यक्रम का व्यापक शैक्षणिक संचालन छात्रों के लिए बना प्रेरक अनुभव
15 दिनों तक चले इस कार्यक्रम का समन्वयन प्रो. कामेश्वर नाथ सिंह ने किया। उन्होंने पाठ्यक्रम की रूपरेखा, संरचना और शिक्षण-सत्रों के संचालन की जानकारी साझा करते हुए बताया कि यह कार्यक्रम विद्यार्थियों को पारंपरिक आयुर्वेदिक ग्रंथों, आधुनिक चिकित्सा-वैज्ञानिक दृष्टिकोण और चिकित्सक के व्यावहारिक दायित्वों से जोड़ने के उद्देश्य से तैयार किया गया था।
कार्यक्रम में प्रतिफल एवं परावर्तन प्रस्तुति का संचालन डॉ. सुदामा सिंह यादव और डॉ. वंदना वर्मा ने किया।
पूरे समारोह का मंच संचालन डॉ. देवेनानंद उपाध्याय ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन डॉ. राजकिशोर आर्य ने प्रस्तुत किया।
विद्यार्थियों को मिला आयुर्वेद दर्शन से लेकर आपातकालीन उपचार तक का व्यापक प्रशिक्षण
15 दिवसीय इस कॅरिक्युलम में विद्यार्थियों को निम्न प्रमुख विषयों पर विस्तृत प्रशिक्षण दिया गया—
आयुर्वेद दर्शन एवं मूल सिद्धांत
चिकित्सकीय संचार एवं व्यवहार
पंचकर्म की अवधारणा और प्रायोगिक समझ
सार्वजनिक स्वास्थ्य एवं स्वास्थ्य-प्रबंधन
योग, ध्यान एवं सहानुभूति आधारित चिकित्सा
अस्पताल, ओपीडी और आईएमएस-बीएचयू की संरचना से परिचय
आपातकालीन स्थितियों में प्राथमिक उपचार
चिकित्सा नैतिकता और पेशेवर व्यवहार
शोध-आधारित चिकित्सा दृष्टिकोण
उद्यमिता, स्टार्टअप संस्कृति और आयुर्वेद का आधुनिक परिदृश्य
इन सभी गतिविधियों ने विद्यार्थियों को बीएएमएस पाठ्यक्रम में सहज, आत्मविश्वासपूर्ण और उद्देश्यपूर्ण शुरुआत करने में सक्षम बनाया।
विद्यार्थियों और समिति सदस्यों को प्रमाणपत्र एवं मेडल का वितरण
समारोह में कार्यक्रम समन्वयक, सह-समन्वयकों, आयोजन समिति के सदस्यों, स्वयंसेवकों एवं बीएएमएस विद्वानों को सम्मानित किया गया। यह प्रमाणपत्र केवल उपस्थिति का प्रतीक नहीं, बल्कि
नेतृत्व क्षमता
समय-प्रबंधन
पेशेवर नैतिकता
सांस्कृतिक परिचय
आयुर्वेदिक दृष्टि
टीमवर्क
परावर्तन क्षमता
की औपचारिक स्वीकृति का प्रतीक था।
अंत में राष्ट्रगान के साथ सम्पन्न हुआ कार्यक्रम
कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ, जहाँ पूरे हॉल में उत्साह, ऊर्जा और गर्व का भाव स्पष्ट झलक रहा था। ‘आयुर्वप्रवेशिका–2025’ की पूर्णाहुति के साथ यह संकल्प मजबूत हुआ कि आईएमएस-बीएचयू केवल डॉक्टर नहीं, बल्कि ऐसे दायित्वनिष्ठ, चिंतनशील और संस्कारवान आयुर्वेदाचार्य तैयार करेगा जो भविष्य की स्वास्थ्य-व्यवस्था को नई दिशा देंगे।
समारोह में प्रो. हरि हृदय अवस्थी, प्रो. रानी सिंह, प्रो. सी. एस. पांडेय, डॉ. आशुतोष कुमार पाठक, डॉ. दिनेश कुमार मीणा, डॉ. नज़र हुसैन, डॉ. लक्ष्मी सहित अनेक गणमान्य उपस्थित रहे।