भारत-रूस ने मत्स्य, पशुपालन एवं डेयरी व्यापार में द्विपक्षीय सहयोग को किया और मजबूत



 प्रविष्टि तिथि: 04 DEC 2025, 7:45 PM
 स्थान: PIB दिल्ली

भारत और रूस के बीच दीर्घकालिक तथा समय-परीक्षित साझेदारी को और सुदृढ़ करते हुए दोनों देशों ने आज मत्स्य, पशुपालन तथा डेयरी उत्पादों के व्यापार में सहयोग बढ़ाने के लिए विस्तृत वार्ता की। अक्टूबर 2000 में “भारत-रूस सामरिक साझेदारी घोषणा” पर हस्ताक्षर के बाद से दोनों देशों के संबंध लगातार मजबूत होते गए हैं और आज यह संबंध “विशेष एवं विशेषाधिकार प्राप्त सामरिक साझेदारी” के स्तर पर स्थापित हैं। अब तक भारत और रूस के बीच 22 वार्षिक शिखर सम्मेलन आयोजित हो चुके हैं। इसी क्रम में रूसी संघ के राष्ट्रपति महामहिम श्री व्लादिमीर पुतिन 04–05 दिसंबर 2025 को 23वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन हेतु भारत का दौरा कर रहे हैं।

कृषि भवन में भारत और रूस के बीच उच्च-स्तरीय द्विपक्षीय बैठक

23वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन के दौरान भारत सरकार के मत्स्य, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने रूसी संघ की कृषि मंत्री महामहिम सुश्री ऑक्साना लुट के साथ कृषि भवन, नई दिल्ली में द्विपक्षीय बैठक की।

बैठक में निम्न मुद्दों पर विस्तृत चर्चा हुई—

  • मत्स्य, पशुपालन एवं डेयरी उत्पादों के द्विपक्षीय व्यापार का विस्तार

  • बाजार पहुँच से जुड़े मुद्दों के समाधान

  • भारतीय निर्यात इकाइयों की FSVPS (रूसी प्लेटफॉर्म) में त्वरित सूचीबद्धता

  • उभरती एक्वाकल्चर तकनीकों तथा गहरे समुद्री मत्स्यन (Deep-Sea Fishing) में सहयोग

  • अनुसंधान और शिक्षा में परस्पर भागीदारी

भारत के मत्स्य निर्यात में विशाल अवसर—रूस ने दिखाई गहरी रुचि

माननीय मंत्री ने बताया कि भारत ने वर्ष 2024-25 में 7.45 बिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य के मत्स्य उत्पाद निर्यात किए, जिनमें से 127 मिलियन डॉलर का निर्यात रूस को किया गया। उन्होंने रूस को झींगा, प्रॉन, मैकेरल, सार्डिन, टूना, केकड़ा, स्क्विड और कटलफिश जैसे उत्पादों के निर्यात को बढ़ाने की संभावनाओं पर जोर दिया।

रूसी पक्ष ने—

  • भारतीय मत्स्य, मांस एवं मांस उत्पादों को और अधिक मात्रा में आयात करने की तत्परता जताई

  • ट्राउट (Trout) मत्स्य पालन के लिए संयुक्त तकनीकी परियोजना और संयुक्त उद्यमों में रुचि दर्शाई

128 भारतीय मत्स्य प्रतिष्ठान सूचीबद्ध—शेष इकाइयों की मंजूरी शीघ्र देने का आग्रह

भारत ने रूस को 19 अतिरिक्त प्रतिष्ठानों को FSVPS में सूचीबद्ध करने हेतु धन्यवाद दिया, जिससे कुल सूचीबद्ध भारतीय इकाइयों की संख्या 128 हो गई है। साथ ही भारत ने अनुरोध किया कि—

  • लंबित प्रतिष्ठानों की सूचीबद्धता जल्द से जल्द पूरी की जाए

  • गतिविधियों के विवरण का नियमित अद्यतन किया जाए

  • अस्थायी प्रतिबंध हटाए जाएँ

भारत ने डेयरी, भैंस मांस और पोल्ट्री क्षेत्रों में भी रूस से शीघ्र अनुमोदन प्रदान करने का आग्रह किया।

माननीय मंत्री ने विशेष रूप से उल्लेख किया कि AMUL/GCMMF सहित 12 भारतीय डेयरी कंपनियाँ रूसी FSVPS प्लेटफॉर्म पर पंजीकरण की प्रतीक्षा कर रही हैं।

मत्स्य पालन में तकनीकी सहयोग—RAS, Biofloc और Deep-Sea Fishing पर जोर

भारत ने गहरे समुद्री मत्स्यन हेतु—

  • तकनीकी हस्तांतरण

  • ऑन-बोर्ड प्रोसेसिंग

  • वैल्यू ऐडिशन

  • Recirculating Aquaculture Systems (RAS)

  • Biofloc टेक्नोलॉजी

  • ठंडे पानी की मत्स्यन (Coldwater Fisheries) और ट्राउट विकास

पर सहयोग का प्रस्ताव रखा। दोनों पक्षों ने मत्स्य एवं एक्वाकल्चर में आनुवंशिक सुधार (Genetic Improvement) पर मिलकर कार्य करने पर सहमति जताई।

अनुसंधान और शैक्षणिक सहयोग को मिलेगी नई गति

दोनों देशों ने माना कि—

  • अनुसंधान एवं विकास

  • तकनीकी नवाचार

  • खाद्य सुरक्षा

  • उभरती तकनीकों में नेतृत्व

के लिए सहयोग अत्यंत लाभकारी होगा।

दोनों पक्षों ने विशेषज्ञों, शोधकर्ताओं एवं छात्रों के आदान-प्रदान को बढ़ाने पर भी सहमति जताई।

भारत ने इस सहयोग को औपचारिक रूप देने के लिए द्विपक्षीय समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर शीघ्र पूरा करने का अनुरोध किया।

रूस की प्रतिक्रिया—पशु टीकाकरण, उपकरण निर्माण और रोग प्रबंधन में सहयोग की इच्छा

रूसी कृषि मंत्री सुश्री ऑक्साना लुट ने—

  • पशु टीकों के विकास

  • उपकरण निर्माण

  • पशु रोग प्रबंधन

  • विश्वविद्यालयों और अनुसंधान संस्थानों के बीच सहयोग

  • छात्रों और वैज्ञानिकों के आदान-प्रदान

में सहयोग बढ़ाने की इच्छा व्यक्त की। उन्होंने कहा कि भारत रूस के लिए झींगा का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक है और दोनों देशों के बीच व्यापारिक आवश्यकताओं को पारस्परिक रूप से पूरा किया जा सकता है।

भारत-रूस मैत्री और विश्वास को नई मजबूती

बैठक का समापन करते हुए माननीय मंत्री ने रूसी प्रतिनिधिमंडल का धन्यवाद व्यक्त किया और आशा जताई कि दोनों देशों की ऐतिहासिक मित्रता और गहरी होगी तथा प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति महामहिम पुतिन द्वारा निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति में यह सहयोग अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।


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