कोडाईकनाल सोलर ऑब्ज़र्वेटरी के आंकड़ों से सूर्य की चुंबकीय गतिविधि का पता लगाने में मिली सफलता; सैटेलाइट संचार पर प्रभाव का भी संकेत

 प्रविष्टि तिथि: 02 DEC 2025, 8:57 PM
 स्थान: PIB दिल्ली

भारतीय खगोलविदों ने एक नई तकनीक की सहायता से सूर्य की चुंबकीय गतिविधि में अक्षांश के अनुसार होने वाले परिवर्तन का सफलतापूर्वक पता लगाया है। यह शोध सूर्य के चक्रों में होने वाली गतिविधियों और उनसे उत्पन्न अंतरिक्ष मौसम के प्रभावों—विशेषकर उपग्रह संचार और विद्युत ग्रिड—को समझने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है।

सूर्य एक गतिशील और चुंबकीय रूप से सक्रिय तारा है, जिसकी गतिविधियाँ लगभग हर 11 वर्षों में एक चक्र पूरा करती हैं। इन चक्रों का अध्ययन इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि सूर्य की चुंबकीय गतिविधि सीधे अंतरिक्ष मौसम को प्रभावित करती है, जिसके कारण पृथ्वी पर संचार नेटवर्क, उपग्रह संचालन तथा अन्य तकनीकी प्रणालियाँ प्रभावित होती हैं।

कोडाईकनाल सोलर ऑब्ज़र्वेटरी की 11 वर्षों की लगातार टिप्पणियाँ बनी आधार

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST) के स्वायत्त संस्थान भारतीय खगोलभौतिकी संस्थान (IIA) के वैज्ञानिकों ने कोडाईकनाल सोलर ऑब्ज़र्वेटरी में 2015 से 2025 तक संकलित कैल्शियम-K (Ca-K) स्पेक्ट्रोस्कोपिक आंकड़ों का उपयोग करते हुए सूर्य की चुंबकीय गतिविधि में अक्षांश संबंधी परिवर्तन का मानचित्र तैयार किया। यह प्रेक्षणीय केन्द्र हाल ही में अपनी स्थापना के 125 वर्ष पूरे कर चुका है और सूर्य की दीर्घकालीन गतिविधियों को समझने का एक अत्यंत मूल्यवान स्रोत माना जाता है।

Ca-K रेखा (393.4 nm) सूर्य के क्रोमोस्फीयर से निकलती है और वहां के तापमान व चुंबकीय क्षेत्र का महत्वपूर्ण संकेतक है। इन आंकड़ों को विभिन्न अक्षांश-पट्टियों के आधार पर विश्लेषित कर वैज्ञानिकों ने सौर चक्र 24 के शिखर से लेकर वर्तमान सौर चक्र 25 के शिखर तक की गतिविधियों को ट्रैक किया।

नई तकनीक से मिली बड़े पैमाने पर चुंबकीय संकेतों की स्पष्ट झलक

IIA के वैज्ञानिक के. पी. राजू के अनुसार, टीम ने सूर्य को ध्रुव से ध्रुव तक क्षैतिज पट्टियों में विभाजित कर प्रत्येक पट्टी से प्राप्त संयुक्त प्रकाश का विश्लेषण किया। इससे बड़े पैमाने पर गतिविधि-आकृतियाँ सामने आईं जो केवल व्यक्तिगत सनस्पॉट देखने पर अक्सर छूट जाती हैं।

अध्ययन में पाया गया कि:

  • सूर्य की अधिकतर गतिविधि 40° उत्तर और 40° दक्षिण अक्षांशों के बीच केंद्रित रहती है।

  • सर्वाधिक सक्रिय क्षेत्र 15–20° अक्षांश के आसपास पाए गए—यही वे क्षेत्र हैं जहाँ सौर धब्बे सर्वाधिक बनते हैं।

  • स्पेक्ट्रल डेटा और नासा के सोलर डायनेमिक्स ऑब्ज़र्वेटरी (SDO) के मैग्नेटिक फ़िलिंग-फ़ैक्टर विश्लेषण में सीधा संबंध मिला।

उत्तर–दक्षिण गोलार्धों में स्पष्ट असमानताएँ

टीम ने यह भी पाया कि:

  • दक्षिणी गोलार्ध में उच्च अक्षांशों की ओर गतिविधि की तीव्रता अधिक तेजी से बढ़ती है।

  • दोनों गोलार्धों में चुंबकीय गतिविधि के "स्पेक्ट्रल रिस्पॉन्स प्रोफाइल" अलग-अलग दिखाई दिए।

  • ये असमानताएँ सौर डायनेमो के जटिल चुंबकीय प्रक्रियाओं के बारे में महत्वपूर्ण संकेत देती हैं।

सौर चक्र के पूर्वानुमानों और अंतरिक्ष मौसम की समझ में बढ़ेगी सटीकता

अध्ययन की सह-लेखिका अपूर्वा श्रीनिवासा ने बताया कि यह शोध स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि सूर्य की गतिविधियाँ सौर चक्रों के अनुसार पूर्वानुमेय पैटर्न का अनुसरण करती हैं। क्रोमोस्फीयर में तापमान और चुंबकीय क्षेत्र के बदलाव सीधे स्पेक्ट्रल लाइनों की चौड़ाई और तीव्रता पर प्रभाव डालते हैं।

यह समझना अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि:

  • बढ़ी हुई सौर गतिविधि उपग्रह संचार

  • पावर ग्रिड

  • नेविगेशन सिस्टम

  • और अंतरिक्ष मौसम पूर्वानुमान

पर व्यापक प्रभाव डाल सकती है।

अध्ययन को मंथली नोटिसेज ऑफ द रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी जर्नल में प्रकाशित किया गया है। टीम में IIA, IIT BHU और अमृता विश्व विद्यापीठम् के शोधकर्ता शामिल हैं।


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