प्रविष्टि तिथि: 30 NOV 2025,
स्थान: नई दिल्ली (PIB)
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री तथा प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा एवं अंतरिक्ष विभाग के राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज घोषणा की कि उत्तराखंड में सुरकंडा देवी, मुक्तेश्वर और लैंसडाउन में तीन मौसम रडार पहले से स्थापित हैं, जबकि हरिद्वार, पंतनगर और औली में तीन और रडार जल्द ही कमीशंड किए जाएंगे।
इन छह रडारों के साथ राज्य की रियल-टाइम मौसम पूर्वानुमान क्षमता और अधिक मजबूत होगी।
उत्तराखंड: वैश्विक आपदा संवाद के लिए सबसे उपयुक्त स्थान
देहरादून में आयोजित “विश्व आपदा प्रबंधन शिखर सम्मेलन” को संबोधित करते हुए मंत्री ने कहा कि अपने भौगोलिक स्वरूप, संवेदनशील हिमालयी इकोसिस्टम और पिछले अनुभवों के कारण उत्तराखंड वैश्विक आपदा प्रबंधन वार्ता के लिए सबसे स्वाभाविक और उचित स्थल है।
समारोह में उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी, राज्यसभा सदस्य श्री नरेश बंसल, NDMA सदस्य श्री अग्रवाल, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी सचिव श्री नितीश कुमार झा, ग्राफिक एरा विश्वविद्यालय के अध्यक्ष प्रो. कमल घनसाला, DG श्री दुर्गेश पंत, SDMA उपाध्यक्ष श्री रोहिला, विशेषज्ञ एवं छात्र उपस्थित थे।
25 वर्षों में उत्तराखंड की आपदा-प्रबंधन पहचान और ‘सिलक्यारा टनल’ बचाव का इतिहास
मंत्री ने कहा कि पिछले 25 वर्षों में उत्तराखंड ने आपदा प्रतिक्रिया में एक विशिष्ट पहचान विकसित की है। उन्होंने दो वर्ष पूर्व पूर्ण हुए सिलक्यारा टनल बचाव अभियान को वैश्विक आपदा प्रबंधन इतिहास की एक स्थायी ‘मानक घटना’ बताया।
भविष्य के हिमालयी आपदाओं पर अनुसंधान में उत्तराखंड की भूमिका और मुख्यमंत्री श्री धामी के नेतृत्व को अवश्य शामिल किया जाएगा।
केदारनाथ (2013) और चमोली (2021) ने बदला आपदाओं का परिदृश्य
डॉ. सिंह ने बताया कि पिछले दशक में उत्तराखंड में हाइड्रो-मौसमीय आपदाएँ तेजी से बढ़ी हैं।
उनके अनुसार, बढ़ती घटनाओं के प्रमुख कारण हैं:
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जलवायु परिवर्तन का प्रभाव
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तेजी से पीछे हटते ग्लेशियर
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ग्लेशियर झील फटने का बढ़ता जोखिम
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हिमालयी पर्वत प्रणाली की नाजुकता
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जंगल कटाव
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मानव निर्मित अवरोध
उन्होंने कहा कि “क्लाउडबर्स्ट” और “फ्लैश फ्लड” जैसे शब्द, जो पहले दुर्लभ थे, अब रोजमर्रा की भाषा का हिस्सा बन चुके हैं।
उत्तराखंड का विस्तारित मौसम नेटवर्क — 6 रडार, 33 वेधशालाएँ, 142 ऑटोमेटिक स्टेशन
मंत्री ने सरकार की पिछले वर्षों की उपलब्धियाँ बताते हुए कहा कि राज्य में अब स्थापित हैं:
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33 मौसम वेधशालाएँ
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रेडियो-सॉन्ड व रेडियो-विंड सिस्टम
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142 ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन (AWS)
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107 वर्षामापी (Rain Gauges)
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जिला एवं ब्लॉक स्तर मॉनिटरिंग
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किसानों के लिए ऐप-आधारित अलर्ट प्रणाली
उन्होंने पुनः घोषणा की कि तीन रडार कार्यरत हैं और हरिद्वार, पंतनगर और औली में तीन और स्थापित किए जाएंगे, जिससे पूर्वानुमान क्षमता अत्यधिक बढ़ेगी।
हिमालयी जलवायु अध्ययन कार्यक्रम और Nowcast का विस्तार
डॉ. सिंह ने बताया कि भारत सरकार ने हिमालय में अचानक बादल फटने वाली परिस्थितियों को समझने के लिए विशेष हिमालयी जलवायु अध्ययन कार्यक्रम शुरू किया है।
Nowcast प्रणाली, जो बड़े महानगरों में सफल रही है और तीन घंटे पहले अलर्ट देती है, अब उत्तराखंड में व्यापक रूप से लागू की जा रही है।
उन्होंने NDMA, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय और वैज्ञानिक संस्थानों द्वारा विकसित एडवांस्ड फॉरेस्ट-फायर वेदर सर्विसेस की भी सराहना की।
मौसम चेतावनियों को गंभीरता से लेने की आवश्यकता — एक उदाहरण
उन्होंने हाल ही की घटना का उल्लेख किया, जहाँ जम्मू-कश्मीर में एक नव-नियुक्त IAS अधिकारी ने IMD के रेड अलर्ट के तुरंत बाद हाईवे बंद करवाकर बड़ी दुर्घटना टाल दी।
उन्होंने कहा कि चेतावनियों की अवहेलना दीर्घकालिक विनाश का रूप ले लेती है।
उन्होंने अवैध खनन को एक मानव-निर्मित ख़तरा बताते हुए कहा कि इससे नदियों का प्राकृतिक मार्ग बाधित होता है और फ्लैश फ्लड का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
वैज्ञानिक मॉडल से आर्थिक अवसर — CSIR आधारित एग्री-स्टार्टअप सफलता
मंत्री ने बताया कि कैसे हिमालयी संसाधनों को आर्थिक अवसरों में बदला जा सकता है।
उन्होंने जम्मू-कश्मीर के अनुभव साझा किए जहाँ B.Tech एवं MBA युवाओं ने CSIR-समर्थित स्टार्टअप मॉडल अपनाकर निजी नौकरियाँ छोड़ दीं क्योंकि:
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अधिक आय
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बेहतर बाज़ार नेटवर्क
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वैज्ञानिक सहयोग
उन्होंने CSIR से उत्तराखंड सरकार के साथ मिलकर इसी मॉडल को आगे बढ़ाने को कहा।
वैश्विक मंच पर भारत की बढ़ती नेतृत्व भूमिका
डॉ. सिंह ने कहा कि भारत अब अपने विशेषज्ञता और सेवाओं को पड़ोसी देशों के साथ साझा कर रहा है।
उन्होंने PM मोदी के COP-26 में Net Zero 2070 लक्ष्य का उल्लेख किया और कहा कि:
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आपदा तैयारियाँ
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जलवायु अनुकूलन
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प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली
—सभी सतत आर्थिक विकास के केंद्रीय तत्व हैं।
उन्होंने कहा कि आपदाओं से होने वाले आर्थिक नुकसान को रोकना उतना ही आवश्यक है जितना कि नई आर्थिक वृद्धि उत्पन्न करना।
सम्मेलन के लिए उत्तराखंड की प्रविष्टियाँ विश्व-स्तरीय योगदान देंगी
अंत में मंत्री ने मुख्यमंत्री श्री धामी और आयोजकों को बधाई दी तथा कहा कि देहरादून से निकलने वाली चर्चाएँ वैश्विक आपदा समाधान और जलवायु सहनशीलता पर महत्वपूर्ण योगदान देंगी।
