मेघालय में पहली बार ब्लॉक-स्तर पर जलवायु संवेदनशीलता का आकलन 39 में से 25 ब्लॉक ‘उच्च’ या ‘अत्यधिक उच्च’ श्रेणी में पाए गए

नई दिल्ली, 29 नवंबर 2025 मेघालय में पहली बार किए गए ब्लॉक-स्तरीय जलवायु संवेदनशीलता आकलन में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST) की एक नई अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार, राज्य के 39 कम्युनिटी एवं ग्रामीण विकास (C&RD) ब्लॉकों में से 25 ब्लॉक उच्च या अत्यधिक उच्च जलवायु संवेदनशीलता की श्रेणी में आते हैं। यह स्थिति राज्य के पारिस्थितिक और सामाजिक-आर्थिक ढांचे पर गंभीर प्रभाव डाल सकती है।

राष्ट्रीय मिशन के तहत स्थापित मेघालय क्लाइमेट चेंज सेंटर की महत्वपूर्ण पहल

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के CEST प्रभाग के अंतर्गत जलवायु परिवर्तन कार्यक्रम ने केंद्र और राज्यों के बीच बेहतर तालमेल के लिए पूरे देश में 30 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में स्टेट क्लाइमेट चेंज सेल्स (SCCCs) की स्थापना की है।
इन्हीं में से एक, मेघालय क्लाइमेट चेंज सेंटर (MCCC), राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन कार्य योजना (NAPCC) के हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र को संजोने के राष्ट्रीय मिशन (NMSHE) का महत्वपूर्ण घटक है।

जलवायु परिवर्तन—हिमालयी क्षेत्र के लिए बड़ी चुनौती

हिमालयी क्षेत्र, विशेषकर मेघालय जैसे संवेदनशील राज्यों में, जलवायु परिवर्तन प्राकृतिक पारिस्थितिकी और सामाजिक-आर्थिक प्रणालियों के लिए गंभीर खतरा प्रस्तुत करता है।
इसी चुनौती को ध्यान में रखते हुए MCCC ने राज्य के सभी 39 C&RD ब्लॉकों का व्यापक जलवायु संवेदनशीलता आकलन किया। इस अध्ययन में राष्ट्रीय मानकों पर आधारित एकीकृत ढांचा अपनाया गया, जिसमें जीव-भौतिकीय और सामाजिक-आर्थिक संकेतकों का विश्लेषण शामिल है।

क्यों बढ़ी जलवायु संवेदनशीलता? रिपोर्ट में उजागर मुख्य कारण

अध्ययन के अनुसार जिन 25 ब्लॉकों को उच्च या अत्यधिक उच्च जोखिम के दायरे में रखा गया है, वहाँ निम्न चुनौतियाँ मुख्य रूप से सामने आई हैं—

  • संस्थागत ऋण तक सीमित पहुँच

  • कम घरेलू आय

  • स्वास्थ्य एवं पोषण ढांचे की कमी (विशेषकर आंगनवाड़ी केन्द्रों की कमी)

  • वन संसाधनों की कमी

  • सिंचाई कवरेज में कमी

ये कारक मिलकर ग्रामीण समुदायों की अनुकूलन क्षमता को कमजोर करते हैं और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को और बढ़ा देते हैं।

नीतिगत हस्तक्षेप के लिए उपयोगी अध्ययन

यह शोध खासकर जलवायु अनुकूलन योजना, ग्रामीण विकास, पारिस्थितिक संरक्षण और सामाजिक समानता पर कार्य करने वाले नीति-निर्माताओं के लिए अत्यंत उपयोगी है।
ब्लॉक-स्तर पर किए गए इस मूल्यांकन से यह स्पष्ट होता है कि कई स्थानीय संवेदनशीलताओं को जिला-स्तर की अध्ययन रिपोर्टें उजागर नहीं कर पातीं। इसलिए यह रिपोर्ट स्थान-विशिष्ट अनुकूलन एवं न्यूनीकरण रणनीतियाँ तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

हिमालयी क्षेत्र में जलवायु-लचीले भविष्य की दिशा में अहम कदम

अध्ययन से यह भी स्पष्ट होता है कि जमीनी स्तर पर एकीकृत जलवायु अनुकूलन योजनाओं की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक है। यह शोध राष्ट्रीय स्तर पर हिमालय को जलवायु-लचीला बनाने के प्रयासों में सार्थक योगदान देता है।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त अध्ययन

इंटीग्रेटेड क्लाइमेट वल्नरेबिलिटी असेसमेंट ऑफ मेघालय एट ब्लॉक लेवल” शीर्षक वाला यह अध्ययन प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय जर्नल Discover Sustainability में प्रकाशित हुआ है, जिससे इसकी वैज्ञानिक विश्वसनीयता और नीतिगत महत्व की पुष्टि होती है।

इस तरह यह रिपोर्ट मेघालय के जलवायु जोखिमों को समझने और संवेदनशील क्षेत्रों में प्रभावी हस्तक्षेप करने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगी।



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