सोशल फाउंडेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स द्वारा गांधी जयंती पर ऑल इंडिया कन्वेंशन का आयोजन नई दिल्ली में

मानवाधिकार, सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण पर गांधी जयंती के अवसर पर ऑल इंडिया कन्वेंशन


मानव एक सामाजिक प्राणी है, समाज के माध्यम से ही किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व का निर्माण एवं बौद्धिक विकास होता है। हैरत की बात है कि सामाजिक न्याय की इस परिभाशा को जानने के बाद भी जाति धर्म, भाषा , लिंग एवं अमीरी-गरीबी के भेदभाव को लेकर हम आपस में इस तरह से बंटे हैं, जो सामाजिक न्याय एवं समताभूलक समाज के रास्ते में सबसे बड़ी बाधा साबित हो रहा है। सरकारी अस्पतालों में मरणांतक पीड़ा से ग्रस्त गरीब मरीजों को डाॅक्टरों तक पहुंचने के लिए घंटों लाईन में खड़े रह कर इंतजार करना पड़ता है।

 उनकी असहनीय पीड़ा को देखते हुए भी पंक्तिबद्ध आगे खड़े लोग उन्हें आगे बढ़ कर चिकित्सक तक पहुंचने की अनुमति देने से साफ शब्दों में इंकार कर देते हैं जबकि कोई रईस अथवा रसूखदार व्यक्ति उनकी पंक्तियों को ठेंगा दिखाते हुए पहुचनें  के साथ ही चिकित्सक के कमरे में दाखिल हो जाता है। 

दिलचस्प तथ्य है कि ऐसे आवांछित व्यक्तियों को रोकने की हिम्मत न तो ड्यूटी पर तैनात गार्ड और न ही अपना नम्बर आने की प्रतीक्षा में घंटों से खड़े लोग दिखा पाते हैं। इस तथ्य का नजारा देश के सर्वाधिक प्रतश्ठित चिकित्सा संस्थान एम्स में भी देखा जा सकता है। समाज में पैसे और रूतबा के बल पर फैले इस भेदभाव के रहते हम सामाजिक न्याय एवं समानाधिकार की बात कैसे कर सकते हैं। 

सामाजिक में फैले इस भेदभाव का असर हमारी न्याय व्यवस्था पर भी पड़ता है। हमारी न्यायिक व्यवस्था के तहत कानून की किसी भी धारा के तहत किसी भी व्यक्ति को जाति, सम्प्रदाय, अमीर, गरीब अथवा वर्ग एवं वर्ण को दरकिनार कर समान रूप से दंडित करने का प्रावधान है। दिलचस्प तथ्य है कि इसके बाद भी हमारी न्यायिक व्यवस्था के तहत जहां अरबों का घोटाला करने वाले नेता एवं देश की अर्थव्यवस्था को दिवालिया बनाने में लगे राष्ट्रघाती  हवाला कारोबारी जेल भेजे जाने के बाद पैसे और पैरवी के बल पर चंद दिनों बाद ही रिहा कर दिए जाते हैं वहीं उदर ज्वाला की पीड़ा से व्यथित व्यक्ति को 100 या 1000 रुपए की चोरी करने पर कई वर्षों  तक जेल की काल कोठरी में बंद रहना पड़ता है। 

कानून, न्याय, शासन एवं सजा का भय आम जनता को दिखा कर पुलिस एवं प्रशासनिक अधिकारी जहां उन पर अपना रौब गालिब करने की कोशिश करते हैं वही सम्पन्न एवं ऊंची पहुंच रखने वाले हत्यारोपियों के खिलाफ साक्ष्यों को जुटाने की बजाए पुलिस उन्हें बचाने की कोशिशों में जुट जाती है। क्या इसे ही हम सामाजिक न्याय कहते हैं? 

सामाजिक न्याय के संदर्भ में भारतीय संविधान की प्रस्तावना में अनेकों प्रावधानों के माध्यम से सामाजिक न्याय को सुनिश्चित करने की बात कही गई है लेकिन जमीनी स्तर पर सामाजिक न्याय के मामले में हमें और भी बहुत कुछ करना होगा।

 अतः सामाजिक न्याय का लक्ष्य हासिल करने के लिए आम आदमियों की जागरूकता सबसे जरूरी है, इसलिए सामाजिक न्याय एवं मानवाधिकार सबसे जरूरी है, इसलिए सामाजिक न्याय एवं मानवाधिकार संगठनों को इसके लिए जन जागरण अभियान चलाने की पहल करनी होगी।

 मानव अधिकारों की मान्यता एवं विश्व बंधुत्व की भावना का विचार विश्व के समक्ष 1945 में संयुक्त राश्ट्र संघ की स्थापना के बाद आया। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए संयुक्त राश्ट्र संघ की आर्थिक सामाजिक परिषद  ने 1946 में मानवाधिकार आयोग की स्थापना की।

 संयुक्त  राष्ट्र संघ के घोषणा पत्र में जिन मानवाधिकारों की व्याख्या की गई है आज दुनिया के कई देशों में खुलेआम उसकी अवहेलना की जा रही है। युगाण्डा, नामीबिया, ग्वोटमाला, चीन, पाकिस्तान, वर्मा एवं श्रीलंका सहित कई अन्य देशों में मानव अधिकारों को सम्पूर्ण मानवता के रूप में नहीं लिया जाता है। इन देशों में मानव अधिकारों का व्यापक पैमाने पर हनन किया जा रहा है। भारत हमेशा से मानव अधिकारों के प्रति सजग रहा है एवं विश्व मंच पर मानव अधिकारों का समर्थन करता रहा है। 

मानव अधिकारों का उल्लंघन 21वीं सदी में आधुनिक सभ्यता पर लगा एक कलंक एवं बदनुमा दाग साबित हो रहा है। मानवाधिकार उल्लंघन की इन घटनाओं को अगर रोका नहीं गया तो यह ऐसे तूफान का रूप धारण कर लेगा जो सम्पूर्ण मानवता के लिए विनाश का कारण बन जाएगा।

 इस तथ्य को दृष्टिगत  रख कर सोशल फाउंडेशन ऑफ  ह्यूमेन राइट्स मौलिक अधिकार को लेकर भारतीय संविधान में वर्णित प्रावधानों के तहत समाज के दबे कुचले पीड़ितों, शोशितों और आर्थिक दृश्टि से विपन्न लोगों का जीवन स्तर सुधारने तथा उनके मौलिक अधिकारों की हिफाजत के लिए हर संभव प्रयास करती है।

 संविधान में उल्लिखित मौलिक अधिकारों से देश की अधिकांश आबादी अनजान है परिणाम स्वरूप उनके अधिकारों का खुलेआम हनन होता है और सामाजिक एवं अर्थिक दृष्टि से पिछड़े लोग इसका विरोध तक नहीं कर पाते हैं। 

सोशल फाउंडेशन ऑफ  ह्यूमेन राइट्स इस तथ्य को दृष्टिगत रख कर ऐसे लोगों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने के लिए जन-जागरूकता अभियान चलाती है। 

सामाजिक न्याय के लिए हम अपने संगठन के माध्यम से शुरूआत से ही संघर्ष  करते आ रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे। भय, भूख भ्रष्टाचार एवं समतामूलक समाज के निर्माण का संकल्प लेकर सोशल फाउंडेशन ऑफ ह्यूमेन राइट्स शहरी नागरिकों एवं ग्रामीणों को भय का परित्याग कर निर्भीकता से अपना अधिकार हासिल करने के लिए प्रेरित करती है। समाज के पिछड़े, उपेक्षित, महिलाओं और बच्चों पर खास तौर से ध्यान देते हुए यह संस्था इस दिशा में लगातार आगे बढ़ रही है।

Social Foundation of Human Rights (SFHR) एक समर्पित संगठन है, जो मानवाधिकारों की रक्षा, सामाजिक न्याय, और समतामूलक समाज के निर्माण के लिए कार्यरत है। SFHR का उद्देश्य समाज के उपेक्षित, पीड़ित, और वंचित वर्गों के अधिकारों की रक्षा करना और उन्हें उनके मौलिक अधिकारों के प्रति जागरूक करना है।

संस्था विभिन्न जागरूकता अभियानों, जन आंदोलनों, और अधिकारों की सुरक्षा के लिए प्रयासरत है। गांधी जयंती के अवसर पर आयोजित ऑल इंडिया कन्वेंशन इसका एक प्रमुख उदाहरण है, जिसमें सामाजिक न्याय, सशक्तिकरण और मानवाधिकारों के मुद्दों पर गहन विचार-विमर्श किया गया।

इस अभियान की सफलता के लिए हमें आपके सहयोग, समर्थन एवं उचित सलाह की जरूरत है। आपके सहयोग, समर्थन एवं उचित सलाह के बल पर हमारा कारवां मंजिलों तक पहुंचने में कामयाब होगा, इस बात का हमें पूर्ण विश्वास है। 

जिसमें बैंक एवं बीमा  के सहयोग से इस प्रोग्राम का आयोजन किया रहा है जो सोशल फाउंडेशन ऑफ  ह्यूमेन राइट्स द्वारा धन्यवाद  दिया जा रहा है और यह एक बहुत सराहनीय है।

ऑल इंडिया कन्वेंशन के प्रमुख प्रायोजक

सोशल फाउंडेशन ऑफ ह्यूमेन राइट्स (SFHR) द्वारा आयोजित ऑल इंडिया कन्वेंशन को कई प्रतिष्ठित कंपनियों का सहयोग प्राप्त हुआ है। ये कंपनियां न केवल व्यावसायिक रूप से सफल हैं, बल्कि सामाजिक न्याय, मानवाधिकार और सशक्तिकरण जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों के प्रति भी अपनी गहरी प्रतिबद्धता दिखाती हैं।

प्रायोजक कंपनियां:

सोशल फाउंडेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स (SFHR) को प्रमुख कंपनियों का समर्थन

सोशल फाउंडेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स (SFHR) को कई प्रमुख संस्थानों और कंपनियों का समर्थन प्राप्त हुआ है, जो मानवाधिकारों के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझती हैं। ये कंपनियां अपने योगदान से SFHR के प्रयासों को आगे बढ़ाने में मदद कर रही हैं:


  1. सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया: भारत की एक प्रमुख राष्ट्रीय बैंक, जो अपने दायित्वों के साथ-साथ सामाजिक ज़िम्मेदारियों में भी विश्वास रखती है।  


  2. न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड: भारत की सबसे बड़ी जनरल इंश्योरेंस कंपनी, जो सुरक्षा और सेवा के साथ मानवाधिकारों का समर्थन कर रही है।

  3. जिंदल टेक्सटाइल्स: कपड़ा उद्योग में एक प्रमुख नाम, जो अपने सामाजिक दायित्वों के माध्यम से SFHR के कार्यों में योगदान दे रहा है।

  4. एलआईसी (भारतीय जीवन बीमा निगम): भारत की सबसे बड़ी जीवन बीमा कंपनी, जो सुरक्षा और कल्याण के अलावा समाज के उत्थान में अपनी भूमिका निभा रही है।

  5. एनबीसीसी (एक नवरत्न CPSE): एक नवरत्न सीपीएसई जो इंफ्रास्ट्रक्चर विकास और सुधार के क्षेत्र में काम करता है और SFHR के साथ अपनी सामाजिक जिम्मेदारी निभा रहा है।

डी.ई.सी (गुणवत्ता का प्रतीक): एक विश्वसनीय नाम, जो गुणवत्ता के मानदंडों पर खरा उतरता है और मानवाधिकारों का समर्थन करता है।
  1. मुज़ा होटल्स: एक प्रमुख होटल श्रृंखला, जो केवल व्यावसायिक नहीं बल्कि सामाजिक सुधार और मानवाधिकारों में भी योगदान देती है।

  2. यूको बैंक :यूको बैंक ने सोशल फाउंडेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स (SFHR) के मानवाधिकार संरक्षण पहल को समर्थन दिया है, जिससे SFHR के सामाजिक और मानवाधिकार प्रयासों को बढ़ावा मिला है।

ये सभी कंपनियां न केवल व्यापारिक दृष्टिकोण से बल्कि समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए इस आयोजन को सफल बनाने में सहयोग कर रही हैं। सोशल फाउंडेशन ऑफ ह्यूमेन राइट्स  इन सभी प्रायोजकों का आभार व्यक्त करता है और इस आयोजन को एक महत्वपूर्ण कदम मानता है जो समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए प्रेरित करेगा।

Venue - Woodapple Residency 3, Hargobind Enclave, Vikas Marg, Opp. Metro Pillar 114, Delhi-110092.

Time - 4:00 pm - 7:00pm October 02,2024

News Analysis ने ऑल इंडिया कन्वेंशन पर एक विशेष रिपोर्ट प्रकाशित की है, जो गांधी जयंती के अवसर पर मानवाधिकार, सामाजिक न्याय, और सशक्तिकरण पर केंद्रित है। यह आयोजन सोशल फाउंडेशन ऑफ ह्यूमेन राइट्स (SFHR) द्वारा आयोजित किया गया था, जिसमें कई प्रतिष्ठित कंपनियों का समर्थन शामिल था। यह सम्मेलन समाज में फैले भेदभाव, अन्याय और मानवाधिकारों के उल्लंघन के मुद्दों को उजागर करने और इनसे निपटने के लिए समाज को जागरूक करने का प्रयास था।

News Analysis ने इस रिपोर्ट में सामाजिक भेदभाव और न्याय की कमियों को रेखांकित किया है, जहां अमीरी-गरीबी, जाति और लिंग आधारित भेदभाव के कारण समाज में असमानता व्याप्त है। सरकारी अस्पतालों से लेकर न्यायिक व्यवस्था तक, हर क्षेत्र में भेदभाव के चलते गरीब और कमजोर वर्गों को न्याय और सुविधाओं से वंचित रखा जा रहा है।

इस मौके पर News Analysis ने सोशल फाउंडेशन ऑफ ह्यूमेन राइट्स (SFHR) की भूमिका को भी उजागर किया, जो मानवाधिकारों की रक्षा और सामाजिक न्याय के लिए लगातार संघर्षरत है। SFHR के प्रयासों को देश की प्रमुख कंपनियों का समर्थन प्राप्त है, जो इस मिशन को और आगे बढ़ाने में मदद कर रही हैं।

News Analysis सामाजिक और मानवाधिकारों के क्षेत्र में महत्वपूर्ण जानकारी और जागरूकता फैलाने के अपने उद्देश्य के साथ इस कार्यक्रम को कवर करने में अग्रणी रहा है। 

Email ✉ - sfhrights.2000@gmail.com

Website- Social Foundation of Human Right (sfhr.in)


News Analysis

News Analysis is a dynamic media platform that provides in-depth coverage of both national and international news. It focuses on delivering well-researched articles, opinion pieces, and multimedia content across various categories such as politics, economy, society, and culture. The platform aims to offer readers a nuanced understanding of current affairs through insightful reporting and analysis. With a commitment to journalistic integrity, News Analysis stands out for its bold and professional design, ensuring a clean and organized layout for easy navigation. It also features sections for dynamic news updates, newsletters, and advertising opportunities, making it a comprehensive source of information for its audience.

Post a Comment

Please Select Embedded Mode To Show The Comment System.*

Previous Post Next Post