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उत्तर प्रदेश सरकार ने हाल ही में अपनी नई डिजिटल नीति की घोषणा की है, जिसका उद्देश्य राज्य में डिजिटल सेवाओं और इंफ्रास्ट्रक्चर को सशक्त करना है। सरकार का कहना है कि इस नीति से डिजिटल इकॉनमी को बढ़ावा मिलेगा, डिजिटल शिक्षा, स्वास्थ्य, और ई-गवर्नेंस में सुधार होगा, और राज्य में इनोवेशन के लिए अनुकूल माहौल बनेगा। लेकिन इस नीति के सामने आते ही इस पर कई सवाल भी उठने लगे हैं। नीति को लेकर विभिन्न धारणाएं और चिंताएं सामने आ रही हैं, जो इसके प्रभाव, कार्यान्वयन, और पारदर्शिता को लेकर सवाल खड़े कर रही हैं।
नई डिजिटल नीति के प्रमुख उद्देश्य
उत्तर प्रदेश की नई डिजिटल नीति का उद्देश्य राज्य को डिजिटल भारत मिशन के अनुरूप बनाने के साथ-साथ डिजिटल और आईटी सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। इस नीति के तहत कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया गया है:
डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर का विकास: सरकार का लक्ष्य है कि राज्य के हर जिले और गांव को डिजिटल कनेक्टिविटी के माध्यम से जोड़ना और फाइबर ऑप्टिक नेटवर्क का विस्तार करना।
डिजिटल शिक्षा: डिजिटल शिक्षा के माध्यम से स्कूली बच्चों और युवाओं को टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में सशक्त बनाना, ताकि वे भविष्य की नौकरियों के लिए तैयार हो सकें।
ई-गवर्नेंस को सशक्त बनाना: सरकारी सेवाओं को नागरिकों के लिए अधिक सुलभ और पारदर्शी बनाना, ताकि सरकारी प्रक्रियाओं में दक्षता और जवाबदेही बढ़ सके।
डिजिटल इकॉनमी का विकास: स्टार्टअप्स, छोटे और मध्यम उद्यमों को प्रोत्साहित करना और डिजिटल व्यापार के लिए अनुकूल माहौल बनाना।
हालांकि, इन उद्देश्यों के बावजूद, नई डिजिटल नीति पर कई विशेषज्ञों, संगठनों, और विपक्षी दलों ने सवाल उठाए हैं, जो इसे लेकर संदेह पैदा कर रहे हैसवाल क्यों उठ रहे हैं?
1. पारदर्शिता की कमी: विशेषज्ञों का मानना है कि डिजिटल नीति के कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं को लेकर पारदर्शिता का अभाव है। जैसे कि, इस नीति में डेटा सुरक्षा और नागरिकों की गोपनीयता से जुड़े पहलुओं के बारे में स्पष्ट विवरण नहीं दिया गया है। डेटा का उपयोग किस प्रकार किया जाएगा, इसकी सुरक्षा की गारंटी क्या होगी, और इस पर कौन सी निगरानी तंत्र काम करेगा, ये सब सवाल नीति के संदर्भ में स्पष्ट नहीं हैं।
2. नीति का व्यापक अध्ययन नहीं: कई विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि इस नई नीति को लागू करने से पहले पर्याप्त शोध और अध्ययन नहीं किया गया है। नीति बनाने से पहले अन्य राज्यों और देशों की डिजिटल नीतियों का विश्लेषण कर के अधिक संतुलित और कारगर नीति बनाई जा सकती थी। लेकिन नीति में ऐसी कोई स्पष्टता नहीं दिखती कि इसे बनाने में वैश्विक और घरेलू स्तर पर की गई सफलताओं और असफलताओं को ध्यान में रखा गया है या नहीं।
3. समान अवसरों की चिंता: कुछ विश्लेषकों का कहना है कि इस नीति का लाभ केवल बड़े डिजिटल खिलाड़ियों को मिलेगा, जबकि छोटे और मध्यम उद्यमों को इससे नुकसान हो सकता है। बड़े टेक्नोलॉजी कंपनियों के लिए अनुकूल वातावरण बनाने के प्रयास में छोटे उद्यमों की अनदेखी की जा सकती है। समान अवसरों की गारंटी सुनिश्चित करने के लिए नीति को और अधिक संतुलित बनाने की आवश्यकता है।
4. कानूनी ढांचा और निगरानी की कमी: इस नीति के तहत डेटा गोपनीयता और साइबर सुरक्षा के लिए एक प्रभावी कानूनी ढांचे और निगरानी तंत्र की कमी का भी आरोप लगाया जा रहा है। भारत में डेटा सुरक्षा को लेकर पहले से ही कई सवाल उठते रहे हैं और उत्तर प्रदेश की नई नीति ने इन चिंताओं को और भी बढ़ा दिया है। बिना किसी स्पष्ट कानूनी और निगरानी व्यवस्था के, डिजिटल पॉलिसी की प्रभावशीलता पर सवाल उठना स्वाभाविक है।
क्या दूसरे राज्यों में भी है डिजिटल पॉलिसी?
भारत के अन्य राज्यों ने भी अपनी-अपनी डिजिटल नीतियाँ बनाई हैं और उन्हें प्रभावी तरीके से लागू किया है। इसके उदाहरण के तौर पर:
1. कर्नाटक: कर्नाटक ने अपनी डिजिटल नीति 2017 में पेश की थी, जो राज्य में डिजिटल इकोसिस्टम को प्रोत्साहित करने, नवाचारों को बढ़ावा देने और साइबर सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करती है। कर्नाटक में आईटी सेक्टर को मजबूत करने के लिए विशेष रूप से कई पहल की गई हैं, जो इसे एक डिजिटल हब बनाने में मदद करती हैं।
2. तेलंगाना: तेलंगाना की डिजिटल नीति में आईटी और डेटा सुरक्षा पर विशेष जोर दिया गया है। राज्य सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी निवेश क्षेत्र (ITIR) स्थापित किया है, जो डिजिटल इंडस्ट्री के विकास के लिए महत्वपूर्ण है। तेलंगाना सरकार ने भी सरकारी और निजी डेटा की सुरक्षा के लिए कई कदम उठाए हैं।
3. महाराष्ट्र: महाराष्ट्र ने भी डिजिटल महाराष्ट्र मिशन की शुरुआत की है, जो डिजिटल साक्षरता, ई-गवर्नेंस, और डेटा सुरक्षा जैसे विषयों पर केंद्रित है। महाराष्ट्र सरकार की नीति डिजिटल इंडिया के लक्ष्यों के साथ मेल खाती है और राज्य को एक डिजिटल केंद्र बनाने की दिशा में काम कर रही है
उत्तर प्रदेश की नई डिजिटल नीति को लेकर उठ रहे सवाल बेहद महत्वपूर्ण हैं और सरकार के लिए इन्हें हल करना जरूरी है। पारदर्शिता, डेटा सुरक्षा, और समान अवसर जैसे मुद्दों पर ध्यान देकर नीति को और प्रभावी बनाया जा सकता है। अन्य राज्यों की नीतियों का अध्ययन और उनकी सफलताओं से सीखकर उत्तर प्रदेश की डिजिटल नीति को और बेहतर रूप दिया जा सकता है। डिजिटल विकास की दिशा में आगे बढ़ते समय सभी संबंधित पक्षों के साथ सहयोग और संवाद करना अनिवार्य होगा ताकि नीति सही दिशा में काम कर सके और राज्य के सभी नागरिकों को लाभान्वित कर सके।