नई दिल्ली:
नेशनल हेल्थ मिशन (NHM) की वर्ष 2022-23 की रिपोर्ट ने देश के स्वास्थ्य ढांचे में गंभीर खामियों को उजागर किया है। रिपोर्ट के अनुसार, देशभर में स्थित 5491 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) मात्र 4413 विशेषज्ञ डॉक्टरों के भरोसे चल रहे हैं, जिससे ग्रामीण और दूरदराज के इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं का बुनियादी ढांचा कमजोर होता दिख रहा है। यह आंकड़ा स्पष्ट रूप से दिखाता है कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में न केवल डॉक्टरों की कमी है, बल्कि विशेषज्ञ चिकित्सकों की अनुपलब्धता भी एक गंभीर चुनौती बन चुकी है।
विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी: ग्रामीण क्षेत्रों पर पड़ रहा गहरा प्रभाव
विशेषज्ञ डॉक्टरों की यह कमी विशेष रूप से ग्रामीण और सुदूर इलाकों में बड़ी चुनौती बन गई है, जहां लोगों के पास निजी स्वास्थ्य सेवाओं का विकल्प कम होता है। इन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में विशेषज्ञ डॉक्टरों का न होना, गंभीर बीमारियों के इलाज में बाधा उत्पन्न कर रहा है। उदाहरण के लिए, अगर किसी मरीज को शल्य चिकित्सा (सर्जरी) की जरूरत होती है और सीएचसी में सर्जन उपलब्ध नहीं है, तो मरीज को बड़े शहरों में स्थित जिला अस्पतालों या निजी अस्पतालों में भेजा जाता है, जिससे उनकी चिकित्सा प्रक्रिया में देरी होती है।
नेशनल हेल्थ मिशन की रिपोर्ट में चिंताजनक आंकड़े
नेशनल हेल्थ मिशन की इस रिपोर्ट से साफ हो गया है कि देश के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की आवश्यकता और वर्तमान में उपलब्ध डॉक्टरों के बीच बड़ा अंतर है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में 5491 सीएचसी हैं, लेकिन इनमें से अधिकांश केंद्रों पर आवश्यक विशेषज्ञता उपलब्ध नहीं है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि विशेषज्ञ डॉक्टरों की यह कमी केवल एक क्षेत्रीय या राज्य स्तरीय समस्या नहीं है, बल्कि यह पूरे देश में व्याप्त है, विशेष रूप से पूर्वोत्तर और आदिवासी क्षेत्रों में जहां स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच पहले से ही सीमित है।
डॉक्टरों की कमी से सेवाओं में गिरावट
विशेषज्ञ डॉक्टरों की अनुपलब्धता का सीधा असर स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता पर पड़ रहा है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में आम तौर पर सर्जरी, प्रसूति देखभाल, बाल रोग और अन्य गंभीर चिकित्सा सेवाएं दी जाती हैं। लेकिन जब इन केंद्रों पर सर्जन, स्त्री रोग विशेषज्ञ, बाल रोग विशेषज्ञ, और सामान्य चिकित्सक जैसे विशेषज्ञ नहीं होते हैं, तो ये सेवाएं बाधित होती हैं।
यह कमी न केवल चिकित्सा सेवाओं की गुणवत्ता को प्रभावित कर रही है, बल्कि स्वास्थ्य केंद्रों पर भरोसा रखने वाले लोगों की जिंदगी को भी जोखिम में डाल रही है। रिपोर्ट में बताया गया है कि इस कमी के कारण कई मरीजों को समय पर सही इलाज नहीं मिल पाता, जिससे उनकी बीमारी और गंभीर हो जाती है।
सरकार की चुनौतियाँ और प्रयास
विशेषज्ञ डॉक्टरों की इस भारी कमी को देखते हुए सरकार के सामने बड़ी चुनौती है कि कैसे देशभर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए। हाल के वर्षों में, सरकार ने डॉक्टरों की भर्ती प्रक्रिया को गति देने और मेडिकल कॉलेजों की संख्या बढ़ाने के लिए कई प्रयास किए हैं, ताकि देश में डॉक्टरों की संख्या में सुधार किया जा सके।
इसके अलावा, ग्रामीण क्षेत्रों में डॉक्टरों को सेवाएं देने के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से विशेष योजनाएं भी शुरू की गई हैं, जिनमें उन्हें आर्थिक और सामाजिक लाभ दिए जाते हैं। हालांकि, इन प्रयासों के बावजूद, डॉक्टरों की कमी अभी भी एक गंभीर समस्या बनी हुई है।
ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं का भविष्य
विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी न केवल स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता पर सवाल खड़े करती है, बल्कि यह सरकार की नीति-निर्माण प्रक्रिया में भी सुधार की मांग करती है। विशेषज्ञता की कमी का समाधान न केवल डॉक्टरों की संख्या बढ़ाने में है, बल्कि इस बात पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है कि डॉक्टर ग्रामीण और सुदूर क्षेत्रों में अपनी सेवाएं देने के लिए प्रेरित हों। इसके लिए उन्हें बेहतर वेतन, सुविधाएं, और स्थाई नौकरी की गारंटी दी जा सकती है।
इसके अलावा, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों की आधारभूत संरचना को भी सुदृढ़ करने की आवश्यकता है ताकि डॉक्टरों को काम करने के लिए बेहतर वातावरण मिल सके और मरीजों को उच्च गुणवत्ता की स्वास्थ्य सेवाएं प्राप्त हो सकें।
समाधान और संभावनाएं
सरकार इस दिशा में कई नई योजनाओं को लागू करने की तैयारी में है। इनमें मेडिकल कॉलेजों की संख्या बढ़ाने, डॉक्टरों की भर्ती प्रक्रिया को सरल बनाने और सुदूर क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं को मजबूत करने के लिए डिजिटल हेल्थ टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने पर जोर दिया जा रहा है। टेलीमेडिसिन और ई-हेल्थ प्लेटफार्मों के माध्यम से डॉक्टर दूरदराज के इलाकों में भी मरीजों का इलाज कर सकेंगे, जिससे विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी को कुछ हद तक पूरा किया जा सकेगा।
नेशनल हेल्थ मिशन की इस रिपोर्ट ने देश में स्वास्थ्य सेवाओं की खामियों को उजागर कर दिया है। 4413 विशेषज्ञ डॉक्टरों के भरोसे 5491 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों का संचालन देश की स्वास्थ्य सेवाओं की गंभीर स्थिति की ओर इशारा करता है।
आने वाले समय में सरकार को न केवल डॉक्टरों की संख्या बढ़ाने पर ध्यान देना होगा, बल्कि ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता को सुधारने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। इस दिशा में सही कदम उठाकर ही देश के सभी नागरिकों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जा सकेंगी।