ढाका, बांग्लादेश: बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना और उनके परिवार को दी गई विशेष सुरक्षा को अब हटा लिया गया है। इस फैसले के पीछे कानून में किए गए संशोधन का हवाला दिया गया है, जिसके तहत 76 वर्षीय शेख हसीना और उनके परिवार को दी जाने वाली विशेष सुरक्षा वापस ले ली गई है। इस कदम को बांग्लादेश की राजनीति में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन के रूप में देखा जा रहा है।
भारत जाने के बाद भंग हुई संसद:
5 अगस्त को शेख हसीना के भारत भाग जाने के बाद, बांग्लादेश के राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने बांग्लादेश की संसद को भंग कर दिया था। इस अप्रत्याशित कदम ने बांग्लादेश की राजनीतिक स्थिति को और अधिक जटिल बना दिया। शेख हसीना, जो कि लंबे समय से बांग्लादेश की राजनीति में एक प्रमुख और प्रभावशाली नेता रही हैं, के भारत जाने से राजनीतिक अस्थिरता बढ़ गई।
कानून में संशोधन का असर:
इस नए कानून संशोधन के बाद, शेख हसीना और उनके परिवार की विशेष सुरक्षा की व्यवस्था को हटाने का फैसला किया गया है। यह सुरक्षा उन्हें उनकी राजनीतिक स्थिति और परिवार की सुरक्षा के लिए दी गई थी। कानून में इस बदलाव का अर्थ यह है कि अब शेख हसीना और उनका परिवार सामान्य सुरक्षा प्रोटोकॉल के तहत आएंगे।
बांग्लादेश की राजनीति पर प्रभाव:
इस निर्णय से बांग्लादेश की राजनीति में उथल-पुथल मच गई है। शेख हसीना और उनकी पार्टी, अवामी लीग, जो कि बांग्लादेश की सत्तारूढ़ पार्टी है, ने इस फैसले की कड़ी आलोचना की है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि यह कदम राजनीतिक दुर्भावना के तहत उठाया गया है और इसका मकसद शेख हसीना की सुरक्षा को खतरे में डालना है।
विपक्ष का दृष्टिकोण:
वहीं दूसरी ओर, विपक्षी दलों ने इस निर्णय का स्वागत किया है और इसे लोकतंत्र की दिशा में उठाया गया एक सही कदम बताया है। उनका कहना है कि शेख हसीना और उनके परिवार को विशेष सुरक्षा देना सत्ता का दुरुपयोग था और इसे खत्म करना सही निर्णय है।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया:
शेख हसीना के भारत जाने और बांग्लादेश की संसद के भंग होने के बाद, अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने भी इस पर नजर बनाए रखी है। बांग्लादेश की स्थिरता और सुरक्षा को लेकर कई देशों ने चिंता जाहिर की है और बांग्लादेश की सरकार से अपील की है कि वह शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कदम उठाए।
बांग्लादेश की राजनीति में शेख हसीना की विशेष सुरक्षा को हटाना और संसद का भंग होना एक महत्वपूर्ण मोड़ है। इससे देश की राजनीतिक स्थिति और भविष्य पर बड़ा प्रभाव पड़ सकता है। बांग्लादेश की जनता और अंतरराष्ट्रीय समुदाय अब यह देख रहे हैं कि इन घटनाओं के बाद बांग्लादेश की राजनीति किस दिशा में आगे बढ़ेगी।