मुंबई/नई दिल्ली, 16 दिसंबर 2025।
भारत ने एक बार फिर वैश्विक समुद्री मंच पर अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज कराते हुए अंतरराष्ट्रीय समुद्री नेविगेशन के क्षेत्र में नेतृत्व की भूमिका को मजबूती दी है। पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय (MoPSW) के अंतर्गत लाइटहाउस एवं लाइटशिप महानिदेशालय (DGLL) ने अंतरराष्ट्रीय समुद्री नेविगेशन सहायता संगठन (IALA) की तीसरी परिषद बैठक का 08 से 12 दिसंबर 2025 के बीच मुंबई में सफलतापूर्वक आयोजन किया।
यह उच्चस्तरीय बैठक भारत में आयोजित अब तक के प्रमुख अंतरराष्ट्रीय समुद्री कार्यक्रमों में से एक रही, जिसमें 30 से अधिक देशों के 60 से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस व्यापक वैश्विक सहभागिता ने समुद्री क्षेत्र में भारत के नेतृत्व और विश्व समुदाय के बढ़ते भरोसे को स्पष्ट रूप से दर्शाया।
केंद्रीय मंत्री ने किया वर्चुअल उद्घाटन
IALA परिषद की इस बैठक का 09 दिसंबर 2025 को वर्चुअल माध्यम से उद्घाटन केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने किया। इस अवसर पर श्री विजय कुमार, सचिव (PSW) सहित मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।
अपने संबोधन में केंद्रीय मंत्री श्री सोनोवाल ने कहा—
“प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत एक वैश्विक समुद्री नवप्रवर्तक के रूप में उभर रहा है। मुंबई में IALA परिषद बैठक का आयोजन इस बात का प्रमाण है कि भारत अब अंतरराष्ट्रीय समुद्री मानकों के निर्माण, नौवहन सुरक्षा को मजबूत करने तथा डिजिटल और सतत समाधान विकसित करने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।”
लाइटहाउस पर्यटन के लिए डिजिटल टिकटिंग पोर्टल का शुभारंभ
इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री ने लाइटहाउस पर्यटन के लिए डिजिटल टिकटिंग पोर्टल का भी शुभारंभ किया। यह पहल देशभर के 75 लाइटहाउस पर्यटन स्थलों पर
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डिजिटल पहुंच बढ़ाने,
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पारदर्शिता सुनिश्चित करने,
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और पर्यटकों की सुविधा में सुधार
की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है। इस पोर्टल के माध्यम से अब लाइटहाउस पर्यटन को अधिक संगठित और तकनीक-सक्षम बनाया जाएगा।
भारत का समुद्री क्षेत्र: कनेक्टिविटी और विकास की धुरी
परिषद को संबोधित करते हुए श्री विजय कुमार, सचिव (PSW) ने भारत की समुद्री क्षमता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि—
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भारत की तटरेखा 11,000 किलोमीटर से अधिक,
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200 से ज्यादा बंदरगाह,
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और लगभग 20,000 किलोमीटर लंबा नौगम्य जलमार्ग नेटवर्क
देश को वैश्विक कनेक्टिविटी, व्यापार और रोजगार का एक शक्तिशाली केंद्र बनाता है।
उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के साथ भारत का समुद्री क्षेत्र एक परिवर्तनकारी दौर से गुजर रहा है और ब्लू इकॉनमी के लक्ष्यों को हासिल करने में मरीन एड्स टू नेविगेशन की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।
IALA महासचिव ने भारत की भूमिका की सराहना की
IALA के महासचिव श्री फ्रांसिस जकारियाए ने भारत सरकार को परिषद बैठक के सफल आयोजन के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने वैश्विक नौवहन सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय समुद्री सहयोग में भारत के महत्वपूर्ण और ठोस योगदान की सराहना की।
वैश्विक मानकों पर गहन मंथन
परिषद बैठक के तकनीकी सत्रों के दौरान IALA की चार प्रमुख समितियों द्वारा किए गए कार्यों पर विस्तृत चर्चा हुई—
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Aids to Navigation Requirements and Management (ARM)
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Engineering and Sustainability (ENG)
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Vessel Traffic Services (VTS)
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Digital Technologies (DTEC)
इन चर्चाओं के परिणामस्वरूप—
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मौजूदा IALA मानकों और दिशानिर्देशों को अद्यतन किया गया,
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और नए वैश्विक मानकों का निर्माण किया गया,
जिसका उद्देश्य विश्वभर में समुद्री नेविगेशन सहायता प्रणालियों को अधिक सुरक्षित, एकरूप और आधुनिक बनाना है।
IALA कॉन्फ्रेंस एवं जनरल असेंबली 2027 को मिली औपचारिक मंजूरी
कार्यक्रम के दौरान IALA परिषद ने 2027 में प्रस्तावित IALA सम्मेलन और महासभा के आयोजन स्थल का भी दौरा किया। परिषद द्वारा इस स्थल को औपचारिक स्वीकृति प्रदान की गई, जिससे भविष्य में भारत में एक और प्रमुख अंतरराष्ट्रीय समुद्री आयोजन का मार्ग प्रशस्त हुआ।
कान्होजी आंग्रे लाइटहाउस का तकनीकी भ्रमण
परिषद के प्रतिनिधियों के लिए ऐतिहासिक कान्होजी आंग्रे लाइटहाउस का तकनीकी भ्रमण भी आयोजित किया गया।
यह लाइटहाउस—
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फर्स्ट ऑर्डर फ्रेनेल ऑप्टिक,
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और उन्नत समुद्री नेविगेशन प्रणालियों से सुसज्जित है।
इस भ्रमण ने भारत की उस प्रतिबद्धता को उजागर किया, जिसमें वह एक ओर समुद्री विरासत का संरक्षण कर रहा है, वहीं दूसरी ओर अत्याधुनिक तकनीक का समावेश भी कर रहा है। अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधियों द्वारा इस पहल की व्यापक सराहना की गई।
वैश्विक समुद्री सहयोग में भारत की सक्रिय भूमिका
भारत IALA का एक सक्रिय परिषद सदस्य बना हुआ है और
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वैश्विक मानक निर्धारण,
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क्षमता निर्माण,
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तकनीकी सहयोग,
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और सुरक्षित नौवहन पद्धतियों के विकास
में अंतरराष्ट्रीय साझेदारों के साथ मिलकर निरंतर योगदान दे रहा है।
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