305 गांवों से होकर गुजरेगा सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे, बिहार में 416 किलोमीटर की होगी लंबाई
मोतिहारी-गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे के निर्माण के लिए डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) तैयार कर ली गई है। इस महत्त्वपूर्ण एक्सप्रेसवे के निर्माण के लिए अगले एक महीने में भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। एक्सप्रेसवे का निर्माण बिहार के 305 गांवों से होकर किया जाएगा, जिससे तीन प्रमुख राज्यों—उत्तर प्रदेश, बिहार, और पश्चिम बंगाल—को आपस में जोड़ा जाएगा।
भूमि अधिग्रहण का कार्य एक महीने में होगा शुरू
नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) के प्रोजेक्ट डायरेक्टर अमरेश कुमार ने बताया कि भूमि अधिग्रहण का काम अगले एक महीने में शुरू कर दिया जाएगा। यह प्रक्रिया डीपीआर के आधार पर की जाएगी, जिसमें बताया गया है कि अधिकतर निर्माण सरकारी जमीन पर ही किया जाएगा। इससे भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया तेज़ और सुगम होगी।
बिहार के 305 गांवों से गुजरेगा एक्सप्रेसवे
इस एक्सप्रेसवे की कुल लंबाई 550 किलोमीटर होगी, जिसमें से 416 किलोमीटर बिहार में स्थित होंगे। बिहार में यह एक्सप्रेसवे पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपारण, शिवहर, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया, और किशनगंज के कुल 305 गांवों से होकर गुजरेगा। इसमें पश्चिमी चंपारण के 15, पूर्वी चंपारण के 69, शिवहर के 33, सीतामढ़ी के 33, मधुबनी के 66, सुपौल के 43, अररिया के 47 और किशनगंज के 25 गांव शामिल हैं।
तीन राज्यों को जोड़ेगा यह एक्सप्रेसवे
यह एक्सप्रेसवे गोरखपुर से शुरू होकर पश्चिम चंपारण के नवतन में बिहार में प्रवेश करेगा। इसके माध्यम से उत्तर प्रदेश, बिहार, और पश्चिम बंगाल के बीच कनेक्टिविटी में सुधार होगा, जिससे इन राज्यों के बीच व्यापार और आवागमन सुगम होगा।
25,000 करोड़ रुपये की लागत से होगा निर्माण
प्रोजेक्ट के तहत इस एक्सप्रेसवे का निर्माण 25,000 करोड़ रुपये की लागत से किया जाएगा। एक्सप्रेसवे के पूरा होने के बाद न केवल बिहार बल्कि उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल के नागरिकों को भी इसका लाभ मिलेगा।
वर्ष 2028 तक पूरा होगा निर्माण कार्य
प्रोजेक्ट डायरेक्टर अमरेश कुमार ने बताया कि एक्सप्रेसवे के निर्माण कार्य को वर्ष 2028 से पहले पूरा कर लिया जाएगा। इसके बाद यह मार्ग तीनों राज्यों के लिए एक प्रमुख कनेक्टिविटी का साधन बन जाएगा, जिससे यातायात में तेजी आएगी और यात्रा का समय भी कम होगा।