नई दिल्ली, न्यूज़ एनालिसिस:
केंद्र सरकार मेडिकल शिक्षा के क्षेत्र में बड़ा सुधार करने की दिशा में कदम उठा रही है। सरकार अगले पांच वर्षों में देशभर में एमबीबीएस की 75,000 नई सीटें बढ़ाने की योजना बना रही है। यह कदम तब उठाया जा रहा है जब बड़ी संख्या में भारतीय छात्र मेडिकल की पढ़ाई के लिए विदेशों का रुख कर रहे हैं। मौजूदा समय में देश में एमबीबीएस की 1,00,217 सीटें उपलब्ध हैं, फिर भी कई छात्र पूर्व सोवियत संघ के देशों, चीन, बांग्लादेश आदि में मेडिकल शिक्षा ग्रहण करने के लिए जा रहे हैं।
विदेश में पढ़ाई करने वाले छात्रों की बढ़ती संख्या
एक आकलन के अनुसार, इस समय लगभग 30,000 से 35,000 भारतीय छात्र विदेशों में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हैं। इन छात्रों की संख्या लगातार बढ़ रही है क्योंकि देश में सीटों की संख्या सीमित है और सभी छात्रों को प्रवेश नहीं मिल पाता। विदेशों में मेडिकल पढ़ाई के लिए छात्रों का जाना न केवल देश के आर्थिक संसाधनों पर प्रभाव डालता है बल्कि छात्रों को वहां की संस्कृति, भाषा और जीवनशैली के अनुसार ढलने में भी कठिनाइयां होती हैं।
विदेशी निर्भरता कम करने की दिशा में बड़ा कदम
केंद्र सरकार की इस नई योजना का उद्देश्य भारत की मेडिकल शिक्षा में विदेशी निर्भरता को कम करना है। सरकार चाहती है कि भारतीय छात्रों को विदेश जाने की आवश्यकता न हो और उन्हें देश में ही उच्च गुणवत्ता की मेडिकल शिक्षा मिल सके। इसके लिए सरकार अगले कुछ वर्षों में नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना और मौजूदा कॉलेजों में सीटों की संख्या बढ़ाने पर जोर दे रही है।
योजना का खाका तैयार
सरकार इस योजना को साकार करने के लिए विभिन्न मेडिकल संस्थानों और स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ मिलकर एक विस्तृत खाका तैयार कर रही है। इसमें सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों के कॉलेजों में सीटों की संख्या बढ़ाने के साथ-साथ नई चिकित्सा संस्थानों की स्थापना की योजना बनाई जा रही है।
मेडिकल शिक्षा का भविष्य
सरकार के इस कदम से न केवल छात्रों को अपने ही देश में उच्च गुणवत्ता की शिक्षा मिल सकेगी, बल्कि इससे मेडिकल क्षेत्र में आत्मनिर्भरता भी बढ़ेगी। साथ ही, देश में डॉक्टरों की कमी को भी पूरा किया जा सकेगा, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं में भी सुधार होगा।
मेडिकल शिक्षा में यह बड़ा सुधार सरकार के आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। आने वाले वर्षों में जब यह योजना पूरी तरह से क्रियान्वित हो जाएगी, तब भारतीय छात्रों को विदेश जाकर पढ़ाई करने की आवश्यकता नहीं होगी और वे अपने ही देश में एक सफल चिकित्सक बनने के सपने को साकार कर सकेंगे।